आजादी का जश्न, आजादी के सत्तर साल
सन 1757 प्लासी का युद्ध 1757 में गंगा नदी के किनारे अंग्रेज कमांडर लार्ड क्लाइव एवं बंगाल के बंगाल के शासक सिराजुद्दौला के बीच हुआ लार्ड क्लाइव ने छल बल के जरिए सिराजुद्दौला को हरा दिया और बंगाल पर कब्जा कर लिया यही से ब्रिटिश इंडिया कंपनी ने अपना प्रभुत्व जमाना शुरू कर दिया दीवानी समेत समस्त अधिकार अपने नाम कर लिया

1764 बक्सर का युद्ध इस इस युद्ध में एक तरफ अंग्रेजी सेना तथा दूसरी तरफ बंगाल के बंगाल के शासक अवध के शासक एवं मुगल शासक के नेतृत्व में लड़ा गया इस युद्ध को भी अंग्रेजों ने जीत लिया इस युद्ध को जीतने के बाद पश्चिम बंगाल बिहार झारखंड बांग्लादेश उड़ीसा के क्षेत्र के समस्त राज्य एवं राजस्व एवं दीवानी अधिकार अंग्रेजों के हाथ में चला गया

सन 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 10 मई 1857 को अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय सैनिकों ने आजादी का बिगुल फूंक दिया सप्तम मंगल पांडे पश्चिम बंगाल के बैरकपुर छावनी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आगाज किया धीरे धीरे 1857 की क्रांति पश्चिम बंगाल बिहार दिल्ली बैरकपुर झांसी आदि जगहों पर फैल गई पश्चिम बंगाल के बैरकपुर से मंगल पांडेय दिल्ली से बहादुर शाह जफर झांसी से लक्ष्मी बाई ने क्रांति का आगाज किया।


सन 1858 की क्रांति को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से शासन अपने हाथों में ले लिया
साल 1876 अग्रेजी सरकार ने भारत में नए लार्ड लिटन को भेजा जिसका उद्देश्य भारत में उठती राष्ट्रवादी भावना को दबाना था
1899 छोटा नागपुर विरसा मुण्डा ने अपने 400 साथियो का मुकाबला अपने परम्परागत हथियारो से किया
दिसम्बर 1903 अग्रेजो ने बंगाल विभाजन का प्रस्ताव रखा विरोध के बावजूद तत्कालिन वरासराय कर्जन ने 19 जुलाई 1905 को बंगाल का विभाजन कर दिया।
7 अगस्त 1905 को स्वदेशी आन्दोलन और बहिस्कार आन्दोलन की शुरवात हुई।
1916 मे बाल गंगा धर तिलक होम रूल लीग की स्थापना की और नारा दिया स्वराज्य हमारा जन्म सिध्द अधिकार है और इसे मै लेकर रहूंगा
9 जनवरी 1915 को गांधी जी दक्षिँण अफ्रीका से भारत लौटे
फरवरी 1919 मे रालोट एक्ट पारित किया गया जिसका देश भर में भारी विरोध हुआ
13 अप्रैल 1919 जलिया वाला बाग हत्या काण्ड यह एक संकरा बाग था जिसमें कुछ नेता सभा कर रहे थे जिसमें कई हजार लोग जमा थे तभी जनरल डायर ने उन निहत्थे लोगो पर गोलिया चला दी जिसमें लगभग 1000 लोग मारे गये।


सितम्बर 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरवात हुई
5 फरवरी 1922 में चौरी चौरा में आन्दोलन कारियो ने पुलिस वालो पर हमला किया जिसमें 22 पुलिस वालो की मौत हो गई इसी के साथ गाधी जी ने यह आन्दोलन स्थगित कर दिया।

30 अप्रेल 1928 में साइकमीशन का विरोध करते समय लाला लाज पत राय पर लाठी चार्ज के कारण उनकी मौत हो गई
17 दिसम्बर 1928 में साण्डर्स की हत्या कर दी गयी
1929 में लाहोर अधिवेसन में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का निर्णय लिया गया। 6 अप्रैल 1930 को डाडी में गाधी जी ने नमक तोड़कर इसकी सुरवात की।
13 अप्रेल 1939 व्दतीय विश्व युध्द की शुरवात होने वाली थी
अगस्त 1942 में अगस्त क्रान्ती का प्रारम्भ हुआ जिसका नारा था अंग्रेजो भारत छोड़ो और गांधी जी ने जनता को नारा दिया करो या मरो
15 अगस्त 1947 का एतिहासिक दिन आया और भारत को आजाद मिली

